जीवनदायिनी
- rajaramdsingh
- Mar 18, 2023
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Updated: Mar 23, 2023
नारी न होती तो नर न होता,
नाहीं होता यहां कोई जीव ।
नारी होती समस्त सृष्टि की ,
सशक्त सर्वाँगिण नींव ।।
महाप्रलय के प्रचंड प्रकोप से ,
हुआ था ज़ब सृष्टि का विनाश ।
बन श्रद्धा निराश मनु को ,
बंधाई थी तब आश ।।
बिन नारी स्तित्व बिहीन सब,
चाहे नर या कोई परजीव ।
नारी होती समस्त सृष्टि की ,
सशक्त सर्वाँगिण नींव ।।
जीव की नींव कोख में पड़ती ,
कष्टों को माँ हँसकर सहती ।
भ्रूण को बच्चा बनने तक ,
गर्भ में हीं वह रक्षा करती ।।
मातृत्व की अनंत शक्ति ,
बनाती भ्रूण को सुंदर जीव ।
नारी होती समस्त सृष्टि की ,
सशक्त सर्वाँगिण नींव ।।
कराकर वक्ष का अमृत पाण,
बनाती शिशु को सदा महान ।
अभिमन्यु को गर्भ में हीं ,
सिखलाई थी अदभुद ज्ञान ।।
अंतरिक्ष को भेदकर यह
उड़ा रही वायुयान निर्जीव ।
नारी होती समस्त सृष्टि की,
सशक्त सर्वांगिण नीव ।।
वेद पुराण उपनिषद सिखाता ,
पत्नि को अर्धांगिनी बताता ।
राजाराम इन पुजिता को ,
जीवनदायिनी नाम सुझाता ।।
जिस घर में यह पूजी जाती,
खुल जाता है उसका नसीब ।
नारी होती समस्त सृष्टि की ,
सशक्त सर्वांगिण नीव ।।
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राजाराम सिंह 9 मार्च 2023
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