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बिहार चुनाव 2025

  • rajaramdsingh
  • 13 minutes ago
  • 2 min read

बिहार की राजनीति का नया मंथन — बहुजन समाज के लिए निर्णायक वक्त । बिहार की राजनीति एक बार फिर ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहां जनता को सोचना होगा — सत्ता की चाबी किसे सौंपी जाए?


👉 एनडीए गठबंधन ने इस बार सवर्ण समाज को 84 सीटें दी हैं, जबकि

👉 इंडिया गठबंधन ने 41 सीटें दी हैं।

वहीं जातिगत संतुलन देखें तो स्थिति यह है:

वर्ग एनडीए इंडिया गठबंधन

सवर्ण समाज 84 सीटें 41 सीटें

यादव समाज 19 सीटें 69 सीटें

अन्य ओबीसी 54 सीटें 39 सीटें

इबीसी वर्ग 40 सीटें 42 सीटें

दलित समाज 38 सीटें 41 सीटें

मुस्लिम समाज 5 सीटें 29 सीटें

महिला प्रत्याशी 34 सीटें 31 सीटें

अब सवाल उठता है — क्या बिहार में जनता दल (यू) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) जैसी क्षेत्रीय शक्तियां ही असली प्रतिनिधित्व नहीं करतीं?

क्या बिहार के विकास, रोज़गार, शिक्षा और सामाजिक न्याय का भविष्य राष्ट्रीय दलों के हाथ में सुरक्षित है?

🔹 भाजपा के इतिहास पर नज़र डालिए — असम, महाराष्ट्र, झारखंड या हरियाणा — हर जगह उन्होंने गठबंधन धर्म तोड़ा है।

🔹 ऐसे में क्या नीतीश कुमार इस "गठबंधन गद्दारी" से बच पाएंगे?

अब समय है — बिहार की जनता, खासकर बहुजन समाज को फैसला करने का।

🟢 बिहार का भविष्य क्षेत्रीय दलों के हाथ में है

बिहार को चाहिए बहुजन सरकार, जो सबको साथ लेकर चले।

बिहार को चाहिए रोज़गार देने वाली, सुशासन देने वाली सरकार।

बिहार को चाहिए अपना नेतृत्व, जो दिल्ली के इशारों पर नहीं चले।

🟣 अगर भाजपा नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाए रखने की स्पष्ट घोषणा नहीं करती —

तो जनता को भाजपा का बायकॉट करना ही बिहार हित में होगा।

✊ अपील बहुजन समाज से

अब वक्त है: राष्ट्रीय दलों से दूरी बनाकर क्षेत्रीय दलों को गले लगाने का। राजद और जदयू जैसी पार्टियों को एकजुट समर्थन देने का।

बहुजन समाज के उम्मीदवारों और निर्दलीय क्षेत्रीय प्रत्याशियों को वोट देने का। क्योंकि अब फैसला सिर्फ चुनाव का नहीं —

बल्कि बिहार की अस्मिता, सम्मान और स्वाभिमान का है।

🔰 नारा दें —

✋ “राष्ट्रीय पार्टी मुक्त बिहार – बहुजन सरकार वाला बिहार!”

🌾 “क्षेत्रीय दल मजबूत होंगे तो बिहार मज़बूत होगा!”



 
 
 

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