रफू-चक्कर
- rajaramdsingh
- Jul 16, 2023
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हाल हीं में शातिर शुक्ला ने
आदिवासी पर लघुशंका किया,
दुबे ने एसडीएम बनते हीं
ज्योति मौर्या को भगा लिया।
भरोषा जीतना हो जनता क़ा ,
तो जल्द इसका उपचार कर।
क्या खुश हो सकता है मानव ,
घटिया मानसिकता जानकर ।।
दिल में लेकर के अरमान,
सजाया सपना जिसने महान।
पढ़ा लिखा करके बीबी को,
बनाया उसने बड़ा विद्वान ।।
लेकिन दुबे की बुड़ी नज़र से ,
हो गई पत्नि रफू चक़्कर ।
क्या खुश हो सकता है मानव ,
घटिया मानसिकता जानकर ।।
लम्बा था एसडीएम क़ा सफर,
पढ़ाने वाला था हमसफर।
आधी रोटी ख़ाकर के भी ,
किया था खर्च उसका सौहर ।।
पर सफलता के पास दिखा,
विषैले साँप के फन में जहर।
क्या खुश हो सकता है मानव ,
घटिया मानसिकता जानकर ।।
क्या मिला पत्नि को पढ़ाकर?
अर्धांगिनी को शिक्षित बनाकर ।
बच्चे भी नहीं मिले हैं अबतक,
न्यायपालिका जल्दी न्यायकर ।।
इंसानियत शर्मसार हो रहा,
राजानेताजी विचारकर
क्या खुश हो सकता है मानव ,
घटिया मानसिकता जानकर ।।
तारतार की इंसानियत क़ा सार ,
ज्योति की पति को दरकिनार।
क्यों करेगा किसी पर भरोषा,
जब हो रहा सभ्यता शर्मसार ।।
कहता राजाराम कानून बने ,
नहीं कर सकता कोई किनार।
क्या खुश हो सकता है मानव ,
घटिया मानसिकता जानकर ।।
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राजाराम रघुवंशी,15 जुलाई 2023
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