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शेर है शान

  • rajaramdsingh
  • Jun 27, 2023
  • 1 min read

Updated: Sep 21, 2023



हुआ आयोजन दौड़ क़ा,

बनने क़ा सिरमौर्य क़ा।

रचना था इतिहास जीतकर ,

दौड़ के इस शौर्य क़ा ।।


आयोजकजी आवाज़ लगाये ,

बंदे सबको पास बुलाये

खड़े करके उन्हें कतार में ,

दौड़ के नियम समझाये ।।


जो भी इसमें प्रथम आएगा ,

ट्रॉफी जीत क़ा वही पाएगा ।

जश्न मनाकर जीत क़ा ,

शासक भी बन जाएगा ।।


सिटी बजते हीं सब भागे ,

निकल रहे एकदूजे के आगे ।

खड़ा रहा वह जस क़ा तस

लेकिन अंदर से शेर जागे ।।


पूछा तब उस शेर से सबने

क्या है भाई तेरे सपने ।

सब प्रतियोगी भाग रहे ,

तुम खड़े हो जैसे पहने गहने ।।


शेर ने शान से सिर उठाया ,

छाती चौड़ी कर बाल हिलाया ।

बोला क्यों भागूं कुत्तों झुण्ड में ,

ज़ब शेर क़ा हमने शान पाया ।।


पैसों से मत साजिश रचो ,

साँप बन मत किसी को डसो ।

करना हो तो सदकर्म कर,

अन्यथा चुल्लू में हीं डूब मर ।।


तुम पछताओगे पैसे गँवाओगे,

कुत्तों की भीड़ में खुद को पाओगे।

गीदड़ भवकी से शेर नहीं डरता,

आन बाण शान में शीर्षस्थ पाओगे।।

**************************

राजाराम रघुवंशी, 19जून2023

 
 
 

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